पांच पहाड़ियों से घिरे और मगध साम्राज्य की पहली राजधानी राजगीर को घूमेंगे

Rajgir,

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राजगीर

दोस्तों स्वागत है आपका ट्रेवल विद एवी में जहां हम आज पांच पहाड़ियों से घिरे और मगध साम्राज्य की पहली राजधानी राजगीर को घूमेंगे और हमारे साथ है नीरज भैया जो कि हमें इस राजगीर के सफर पर ले जाएंगे चलिए चलते हैं दोस्तों राजगीर बेशक आज बिहार का एक छोटा सा शहर है पर कभी यह भारत के सबसे शक्तिशाली साम्राज्य मगध की राजधानी हुआ कर [संगीत] राजगीर में हमारा पहला स्टॉप है जापानी मंदिर जो कि सुबह 6 बजे से शाम 7:00 बजे तक खुला रहता है चलिए मंदिर चलते हैं यह जापानी टेंपल देखने में काफी सिंपल लगता है बट इसके अंदर भारत और जापान के बुद्धिज्म से जुड़ी कई सारी मूर्तियां और कई प्रसिद्ध चीजें मौजूद हैं [संगीत] मंदिर के अंदर भगवान बुद्ध की एक सफेद मूर्ति जो ध्यान मुद्रा में है उसे बीचोबीच स्थापित किया गया है इस जापानी मंदिर को लेकर एक मान्यता यह भी है कि राजा बिसार द्वारा यह स्थल भगवान बुद्ध को दान में दिया गया था इसी स्थल के समीप भगवान बुद्ध ने अपने 2600 अनुयायियों को प्रवचन दिया था और साथ ही बुद्धिस्म की शिक्षा प्रदान की थी [संगीत] उस स्थल को आज वेन वन के रूप में विकसित किया गया है और वह एक फेमस पार्क है जहां राजगीर में आए लोग जरूर जाते हैं वो बौद्धि जम से जुड़ा एक पार्क है जहां पर बुध की शिक्षाएं दी गई थी वहां आज भी मछली पालने की मछली को दाना देने की परंपरा बनी हुई

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है इस मंदिर के अंदर भारत और जापान के संबंधों को दिखाने के लिए कई सारी ऐसी फोटोग्राफ लगाई गई हैं या कई सारी ऐसी लिपियां या चित्रकारी की गई है जो या तो बेहद प्राचीन है या आधुनिक युग में भारत जापान के रिश्तों को दर्शाती है मंदिर के प्रवेश द्वार के सामने ही भगवान बुद्ध की एक सफेद प्रतिमा है जो 6 फीट की है और उसके साथ ही एक स्ट्रक्चर पे बौद्ध धर्म से जुड़े मंत्र लिखे गए हैं जापानी मंदिर से कुछ ही कदम दूर है गुरु नानक शीतल कुंड गुरुद्वारा राजगीर में वैसे तो गर्म कुंड के कई स्रोत हैं पर ठंडे पानी का इकलौता कुंड इसी गुरुद्वारे में मौजूद है इसीलिए श्रद्धालु यहां आते हैं बड़ी संख्या में इस कुंड में स्नान करते हैं और गुरुद्वारे के दर्शन करते हैं यहां यात्रियों के ठहरने की भी उचित व्यवस्था की जाती है यह गुरुद्वारा काफी खूबसूरत है और बिहार के दो प्रमुख गुरुद्वारों में से एक है यह गुरुद्वारा गुरु नानक देव के राजगीर तीर्थ यात्रा से संबंधित है अब बिहार आए थे घूमने के लिए तो बिहार का प्रसिद्ध गमज भी खरीद लिया जाए यह गमछ मात्र 50 में हमें पड़ा भीड़ देख के आप समझ ही गए होंगे कि बिहार में गमचे की कितनी डिमांड है तो चलिए अब आगे का वीडियो इसी गमचे को पहनकर पूरा किया जाए तो दोस्तों अब चलते हैं राजगीर के एक प्रसिद्ध कुंड में जिसका नाम है ब्रह्मकुंड तपोवन दोस्तों इस समय हम राजगीर के ब्रह्मकुंड द्वार पर हैं जहां पर सा धाराओं का संगम होता है और यहां पर स्नान करने के बाद लोग अंदर मंदिरों को जाते हैं यहां पर स्नान करने के बाद सभी तरह के पाप मुक्त हो जाते हैं चलिए अंदर चलते हैं राजगीर में कुल 22 कुंड हैं और 52 धाराएं हैं सभी कुंड और धाराओं का अपना अपना धार्मिक महत्व है यहां के सभी कुंडों का नामकरण भी देवी देवताओं के नाम पर ही किया गया है यहां के सबसे प्रसिद्ध कुंड ब्रह्म कुंड सप्तधारा कुंड गंगा कुंड यमुना कुंड सीता कुंड सूर्य कुंड चंद्र कुंड व्यास कुंड सरस्वती कुंड आदि हैं इन सभी कुंडों में ब्रह्म कुंड सबसे महत्त्वपूर्ण है जिसके स्नान मात्र से ही आप पाप मुक्त हो जाते हैं ब्रह्मकुंड से जुड़ी एक प्राचीन कथा इस प्रकार है कि एक बार ब्रह्मा के पुत्र राजा वसु ने माघ महीने में यहां एक यज्ञ आयोजित किया जिसमें स्वर्ग के सभी 33 कोटि देवी देवताओं को बुलाया गया माघ की भीषण थंड में स्वर्ग के सुखों का उपभोग करने वाले देवी देवताओं ने ठंड से बचने के लिए भगवान ब्रह्मा से यहां एक गर्म कुंड निर्मित करने की प्रार्थना करी भगवान ब्रह्मा ने उनकी प्रार्थना को स्वीकार करते हुए यहां पर गर्म कुंड की धाराओं को प्रवाहित किया और इस कारण राजगीर में आज 22 ऐसे कुंड है जहां पर यह गर्म धाराएं प्रवाहित होती हैं जिसमें देवी देवताओं द्वारा स्नान किया गया इसी कारण इन कुंडों के नाम देवी देवताओं के नाम पर रखे गए कुंड के स्रोत के रूप में पूजे जाते हैं हिंदू धर्म में मलमास के दौरान दुनिया में कहीं भी पुण्य कार्य या कर्मकांड नहीं होते पर राजगीर में आप मलमास के दौरान भी यह कार्य कर सकते हैं ऐसा राजगीर को आशीर्वाद प्राप्त है ब्रह्मकुंड के इस गर्म जल में स्नान करना धार्मिक रूप से तो फलदाई है ही इसके साथ-साथ यह आपको त्वचा रोग विकलांगता कुष्ठ रोगों से भी मुक्ति दिला सकता है ऐसी यहां की मान्यता है वैसे तो गर्म कुंड में स्नान करने का सबसे बेहतर समय सर्दियों का है पर यहां गर्मियों के मौसम में भी उतनी ही भीड़ देखने को मिलती है आइए अब आपको लेकर चलते हैं राजगीर के प्रथम महान शासक की जन्मभूमि जिनका नाम था जरास जरास मगध के एक बहुत शक्तिशाली शासक थे जिनका जन्म इसी भूमि पर हुआ उनका यहां एक प्राचीन मंदिर भी स्थित है जिस मंदिर में एक बहुत ही प्राचीन जरास की मूर्ति भी स्थापित की गई है जरास का वर्णन हमें महाभारत में भी मिल जाता है और इनका वध महाबली भीम ने किया था जरास के जन्म से जुड़ी एक महत्त्वपूर्ण कहानी जानने के लिए हम जरा देवी मंदिर आए कहा जाता है कि जरास राजा वृ दृत का पुत्र था राजा वृ दृत के पहले कोई पुत्र नहीं थे उन्होंने एक ऋषि के सामने अपनी समस्या बताई तो ऋषि ने उन्हें एक फल देकर इसे अपनी रानी को खिलाने को कहा अब राजा के सामने समस्या यह थी कि उनकी दो रानियां थी तो उन्होंने फल के दो टुकड़े किए और एक-एक हिस्सा दोनों रानियों को खिला दिया रानी को औलाद तो हुई पर दोनों रानियों को बच्चा आधा-आधा हुआ जिससे घबराकर रानियों ने उसे बाहर फेंक दिया बाद में जरा नाम की एक मायावी राक्षसी को वह बच्चे का शव मिला तो उन्होंने उन दोनों टुकड़ों को जोड़ा और एक बच्चे में तब्दील करके उसे जन्म दिया उसके रोने की आवाज सुनकर रानी बाहर आई और उसे उठाकर ले गई बाद में इसी बेटे को जरा द्वारा जोड़ने की वजह से जरा संग कहा गया आज यहां इसी स्थान पर जरा देवी का मंदिर बनाया गया वैसे तो जरा संग भगवान श्री कृष्ण के परम शत्रु थे और उन्हीं के कारण भगवान श्री कृष्ण को मथुरा छोड़कर द्वारका में में बसना पड़ा जरास का वध महावली भीम जो पांडवों में से एक थे उन्होंने श्री कृष्ण के कहने पर ही किया था इसके बावजूद भी यहां के लोग स्पेशली जो चंद्रवंशी समुदाय के लोग हैं वह जरास को पूछते हैं अब मंदिरों के दर्शन करने के बाद हमने बिहार में जो सबसे प्रसिद्ध नाश्ते की डिश है पूरी आलू की सब्जी और समोसा चाट वो खाई जो बहुत टेस्टी और सस्ती थी बिहार की सबसे बड़ी खासियत यही लगी कि यहां खाना बहुत ताजा और टेस्टी मिलता है राजगीर में स्वादिष्ट नाश्ता करने के बाद अब हम निकल गए राजा बिसार के खजाने के बारे में जानने के लिए उस रहस्य के बारे में जानने के लिए जो यहां के सोन भंडार में छिपा है राजगीर एक काफी प्राचीन शहर है जिसका इतिहास में लगभग 5च या 6000 साल पहले से भी वर्णन है यहां पर कई ऐसे रहस्य मौजूद हैं जिनको आज तक खोजा नहीं जा सका इन पहाड़ों में कई सारी गुफाएं मिली हैं जिनमें से एक एक यह सोन भंडार है जो राजा बिंब सार जो मगध के एक शक्तिशाली राजा थे उनसे जुड़ी हुई गुफा है कहा जाता है यहां मगध के राजा बिसार का खजाना छुपाया गया था और उस खजाने को निकालने के लिए जो एक रास्ता है उसे खोलने के लिए जो शब्द बोलने पड़ते हैं वह शंख लिपि में लिखे गए हैं और उस लिपि को आज तक कोई डिकोड नहीं कर पाया जिसका कारण था कि उस लिपि के बारे में जो कुछ भी मौजूद था व नालंदा विश्व विद्यालय के जलने के साथ ही जल गया इस कारण उस लिपि के महत्व को या उससे जुड़ी बातों को आज तक कोई समझ ही नहीं पाया और यह खजाना आज भी इन्हीं कहीं गुफाओं में लुप्त है इन गुफाओं के रहस्य के बारे में जानने के लिए और यहां से जुड़ी जानकारी के लिए टूरिस्ट गाइड करना अनिवार्य है नहीं तो केवल खंडरई तो आप यहां टूरिस्ट गाइड कर सकते हैं जो केवल ₹ 50 में आपको मिल जाएंगे और इस जगह का पूरा जानकारी पूरी डिटेल आपको प्रोवाइड सन भंडार की यह गुफा लगभग ाज साल पुरानी है तो आइए इसके महत्व को जानते हैं इसके रहस्य को समझते हैं यहीं के एक लोकल टूरिस्ट गाइड से आप सभी को इस प्राचीन धरवार पर स्वागत है नमस्कार यह जो जंगला देख रहे है जंगला के ठीक अंदर में दीवाल पे एक दरवाजे का निशान है ऐसा माइथोलॉजी दंत कथा है जूर उसी दरवाजे के पीछे यहां का राजा बिंबी सार का खजाना छुपा है लेकिन सर इस जगह का नाम है सोन भंडार जो भी पर्यटक देखने के लिए आते हैं आंख में उनके समझ जाते हैं सोने का भंडार ये सब बिल्कुल गलत अफवाह है सोन मीन सुरंग लंबा टर्नल और भंडार मीन सुरंगों का भंडार उस दरवाजे के पीछे एक 3 माइल की लंबी गुफा है और इसी गुफा पर्वत के ऊपर में एक सत परनी गुफा रोहनिया चोर की गुफा और पीपली गुफा इन तीन गुफाओं से वो दरवाजे का संबंध है जब भगवान बुद्ध महा परिनिर्वाण ले लिए तो तीन महीने के बाद उसी सत परणी गुफा के अंदर में 500 बौद्ध भिक्षु के बीच में प्रथम महाबोधि संगीति सभा हुआ जिसका चेयरमैन महा कश्यप जी थे महा कश्यप जी उसी गुफा के अंदर में बौद्धों के तीन पवित्र पुस्तक लिखे हैं सूत्र पिटक विनय पिटक अभ धम पिटक तो इसके पीछे खजाने का रहस्य आज से अजार वर्ष पहले यहां के राजा बिंबी सार थे बिंबी सार का बेटा आजाद शत्रु अपने पिता को जेल में डाल कर के मार डाले उनके गुस्से में आजाद शत्रु की मां रानी सुभद्रा उनके पास जितना धन संपत्ति खजाना था उस दरवाजे के पीछे एक तपस्वी साधु थे जैन मुनि गौतम स्वामी उनको दान में दे दिए वो तो तपस्वी थे उन्हें धन से क्या वास्ता व सारा धन दौलत खजाना उसी दरवाजे के पीछे छुपा कर के रख डाले अपनी साधना तपस्या के बल पे वो दरवाजे पे चट्टान लगा डाले जब ब्रिटिश गवर्नमेंट अंग्रेज का राज आया सामने वाला जंगला से तोप लगा कर के तोड़ना चाहा और खजाना लूटना चाहा लेकिन तोप से टूटा नहीं दरवाजे पे तोप का दागी ल करके रह गया इसी बीच हमारे भारत के प्रथम वैज्ञानिक डॉक्टर जगदीश चंद्र बसु गर्म पानी को टेस्ट कर अंग्रेज सरकार को वार्निंग चेतावनी दए है कि इसे डायनामाइट से तोड़ो कोई बड़ी बात नहीं टूट सकता है लेकिन हो सकता है ज्वालामुखी फटे इसलिए ज्वालामुखी फटेगा इसी पहाड़ की जड़ी से गर्म पानी का कुंड झरना निकल रहा है गरम पानी गंधक सल्फर रेडियम लोहा से टच होकर के आ रहा है विस्फोटक पदार्थ है विस्फोट हो जाएगा यहां के 50 कोष के एरिया नष्ट होने की उम्मीद है इसलिए से तोड़ा नहीं गया उस दरवाजा का खुलने का एक तरीका दीवाल पे एक मंत्र लेख लिपि लिखा हुआ है अफवा फैला है उस लिपि को पढ़ेंगे तो ऑटोमेटिक दरवाजा खुलेगी उस लिपि का नाम है संख लिपि भाषा जो कि भारतवर्ष में आज तक लिपि पढ़ाई हो नहीं पाई और लिपि इसलिए नहीं पढ़ाया हो पाया कि नालंदा विश्वविद्यालय में तीन बड़ी लाइब्रेरी थी रत्न रंजन रत्न सागर रत्न दधि इन तीन लाइब्रेरी में एक 1199 में मोहम्मद अलाउद्दीन बख्ता खिलजी ने आग लगा डाले छ महीना तक लाइब्रेरी जलते रह गई उसी लाइब्रेरी में शक लिपी का पुस्तक था जल कर के नष्ट हो गया पूरे संसार में लिपि पढ़ाई होने पाए जस्ट लाइक अल्ली बाबा 4 चोर खुल सिम सिम बंद सिमसी उसी तरीका का कोड वर्ड है अंदर से हो आ है कि चलेंगे अभी चल चलिए आइए बाप रे बाप एक मिनट बेटी एक मिनट ा एक मिनट आ जाइए सर देखिए श्रीमान यही व दरवाजा है इसी दरवाजे के पीछे में खजाने का रहस्य है इसी दरवाजे के पीछे तीन माइल की लंबी गुफा है सामने से जंगला से अंग्रेज ने तोप मारा था यह तोप का दाग्य है यहां मंत्र लेख [संगीत] लिपि देखिए श्रीमान इसी लिपि का टीवी च प्रचार चल रहा है कि इस लेख लिपि के कोई विद्वान व्यक्ति पढ़ेंगे तो ऑटोमेटिक दरवाजा खुलेगी इस लिपि का नाम है शंख लिपि भाषा जस्ट लाइक अली बाबा चाली चोर खुल सिम सिम बंद सिम सिम उसी तरीका का कोड वर्ड यहां देखिए सर इस दीवार के ऊपर में एक चित्र है यह चित्र 24 में तीर्थंकर भगवान महावीर जैन प्रतिमा हेड बडी धर्म चक्र लाइन यहां जो गड्ढे दिख रहे है यहां से 2 में तीर्थंकर भगवान पारसनाथ स्वामी की मूर्ति मिली ऊपर में आदिनाथ की मूर्ति मिली एक कीमती प्रतिमा चोरी होने के डर से भारत सरकार यहां से उठा कर करके नालंदा संग्रलय मजम रख बगल वाला गुफा में च यहां बहुत साफ शब्दों में लेख लिपि है ये लिपि का अल्फा बड शंख का का मिल रहा है इसलिए इसका नाम संख लिप भाषा जो कि आज तक कोई विद्वान व्यक्ति पढ़ नहीं पाए आइए उपाध्याय ट य राजगीर आप लोग को सेवा देकर सर परिवार का बोज उठाता हूं जय हिंद जय भारत देख रहे हैं ये सारे जैन धर्म की प्रतिमा कमल निशान पदम प्रभु हाथी निशान अजीतनाथ से निशान महावीर स्वामी ये सब 1934 की धरती कंपन में ये गुफा और ये प्रतिमा नष्ट हुआ तो राजगीर पांच पर्वतों से प्राचीन नगर घिरा हुआ था प्राचीन नाम गिरि वर्ज पपला चल रत्नागिरी उदयगिरी सोनागिरी बहर गिरी इसी पांच पहाड़ी के बीच में मगध की राजधानी थी मगद नरेश राजा जरास उसके बाद बिंसर आए बिंसर का बेटा आजाद शत्रु राज की आजाद शत्रु का बेटा उदयन यहां से राजधानी उठा कर के पटना पाटली पुत्रा बसाए तब से जगह खाली पड़ गया मेरा नाम सुरेश पासवान टूरिस्ट गाइड राजगीर आप लोग का सेवाकर बाल बच्चों का सहारा करते ह नम सोन भंडार से लगभग 1 किलोमीटर दूर है जरास की रणभूमि इसे जरास का अखाड़ा भी कहा जाता है इस स्थान को जरास के द्वंद युद्ध का पौराणिक मंच कहा जाता है माना जाता है यही वह स्थान है जहां महाबली भीम ने जरास को युद्ध में हराया था और उनका अंत किया था कुश्ती करने वाले पहलवान इस भूमि को बहुत पवित्र मानते हैं और वह यहां की मिट्टी को इकट्ठा करकर अपने साथ ले जाते हैं और अपने अखाड़ों में मिलाते हैं इसी स्थान पर राजा जरास ने अपने कई शत्रुओं को धूल टाई थी और उनको हराकर उनके साम्राज्य पर कब्जा किया था इस स्थान के आसपास सारा जंगल एरिया है जहां पहले वाइल्डलाइफ सफारी हुआ करती थी पर अब नई वाइल्डलाइफ सफारी बनने के बाद से इस जगह में सफारी को बंद कर दिया गया है आइए अब राजगीर के एक और पर्यटन स्थल घोड़ा कटोरा को घूमने के लिए चलते हैं जिसके लिए हमने टांगा किया जो एंट्री पॉइंट तक 50 में पहुंचाएगा घोड़ा कटोरा का टिकट प्राइस ₹10 है और यहां से मेन लेक तक जाने के लिए आप केवल ई रि में जा सकते हैं जिसके लिए ₹1 आने जाने का शुल्क देना होता है और अगर आप रिजर्व करके जाते हैं तो आपको ₹5000000 जा सकता है एक पिकनिक स्पॉट के रूप में इसे डेवलप किया है बिहार सरकार ने और एक अच्छी पहल है अगर आप देखेंगे तो यहां बिल्कुल हरे भरे पहाड़ हैं और उसके बीच में यह झील काफी सुंदर लगती है तो आइए इस जगह को घूमते हैं बोटिंग का मजा लेते हैं और यहां पर इस जगह के मजे लेते हैं निहारते हैं चलिए इस झील को घोड़ा कटोरा दो कारणों से कहा जाता है पहला कारण तो यह कि यहां के राजा के घोड़े इसी झील में पानी पीते थे इसलिए इसे घोड़ा कटोरा कहा जाता था और दूसरा कारण यह कि इस झील का आकार घोड़े के मुख जैसा है इसीलिए इसे घोड़ा कटोरा कहते हैं घोड़ा कटोरा झील एक आइडियल पिकनिक स्पॉट है यहां बोटिंग के साथ-साथ आप इको एडवेंचर पार्क का भी मजा ले सकते हैं यह इको पार्क घोड़ा कटोरा झील से कुछ ही कदम दूर है यहां जाने के लिए र की एंट्री टिकट है इस पार्क का मुख्य आकर्षण यह वॉच टावर है जहां पर चढ़कर आप पूरे पार्क और इस झील का सुंदर नजारा देख सकते [संगीत] हैं तीन तरफ से पहाड़ों से घिरी ये झील काफी खूबसूरत लगती है और यही चीज इसे एक आइडियल पिकनिक स्पॉट बनाती है आप चाहे तो यहां पैदल भी आ सकते हैं या साइकिल का प्रयोग करके भी आ सकते हैं पर टिकट गेट से इस झील तक पहुंचने का डिस्टेंस लगभग 5 किलोमीटर है आइए अब वापस चलते हैं और झील के एंट्री गेट के सामने ही मौजूद विश्व शांति स्तूप को देखते हैं विश्व शांति स्तूप राजगीर की रत्नागिरी पहाड़ी पर स्थित है यहां पहुंचने के दो मार्ग हैं या तो आप रोपवे के जरिए ऊपर पहुंच सकते हैं या फिर पैदल मार्ग से पैदल चढ़कर कुछ किलोमीटर की ऊंचाई पर चलकर आप यहां पहुंच सकते हैं पहले यहां सिंगल सीट रो फेस चलती थी जिन्हें रिस्क के चलते अब हटा दिया गया है और उसकी जगह पर यह मल्टी सीट रोप प ला दी गई है जो काफी सेफ ऑप्शन है रोपवे का प्राइस ₹10 पर पर्सन है और रोपवे आपको यहां मार्केट तक छोड़ता है फिर आप मार्केट होते हुए विश्व शांति स्तूप में पहुंचते हैं इस छोटी सी मार्केट में खाने पीने की कई दुकानें हैं और पर्यटकों की खरीदारी के लिए भी कई ऑप्शंस मौजूद हैं विश्व शांति स्तूप सफेद पत्थर से बना एक विशाल स्तूप है जिसको सबसे पहले 1969 में पूरा करके बनाया गया था इसके बाद 1993 में जो नया स्तूप आप देख रहे हैं इसको आकार दिया गया और इसका निर्माण किया गया यह दुनिया के उन 80 पीस पगोड़ा यानी कि स्तूपस में से से एक है जिसे एक नव बुद्धि संगठन निपन जन मयो जीी द्वारा बनाया गया है यह संगठन और इसके द्वारा तैयार किए जा रहे विश्व शांति स्तूप असल में एक जापानी बुद्धिस्ट निजी दातू फूजी का सपना था जो मोहनदास करमचंद गांधी से काफी इंस्पायर थे और जब जापान में परमाणु हमले हुए तो उन्होंने यह डिसाइड किया कि वह पूरी दुनिया में शांति का संदेश देंगे और उस संदेश के लिए वह इस प्रकार से पीस पग गड़ा यानी कि शांति स्तूप का निर्माण करेंगे यहां जापानी भाषा में ब मंत्रों का भी वर्णन किया गया है और साथ-साथ यहां एक छोटा सा जापानी बुद्धिस्ट टेंपल भी है जो अंदर से बेहद खूबसूरत [संगीत] है इस शांति स्तू में भगवान बुद्ध की मूर्तियों को चारों दिशाओं में लगाया गया है जो यह संदेश देती हैं कि किस प्रकार विश्व में सर्व ओर यानी कि चारों दिशाओं में शांति स्थापित रहे [संगीत] रत्नागिरी का यह पहाड़ लगभग 400 मीटर ऊंचा है और उसमें बना यह सफेद स्तूप लगभग 120 फीट ऊंचा है और इसका डायमीटर 103 फीट का है इस शांति स्तूप की चारों दिशाओं में बनी बुध की मूर्तियां उनके जीवन के चार प्रमुख घटनाओं से प्रेरित हैं जिनको इन मूर्तियों के जरिए दिखाया गया है जैसे कि इस वक्त सामने आप महानिर्वाण की मुद्रा को देख रहे हैं विश्व में शांति का संदेश देते इस सफेद स्तूप को घूमने के बाद अब हम वापस राजगीर के मेन शहर की ओर चलते हैं जिसके लिए एक बार फिर से हमें टांगा करना पड़ा जिसने 50 का किराया लिया इस टांगे ने हमें विरायतन मोड़ के पास छोड़ा जहां से हमने सबसे पहले पांडू पोखर को घूमा पांडु पोखर वही स्थल है जहां राजा पांडू जो पांडवों के पिता थे उन्होंने अपना वनवास बिताया था आज यह राजगी का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है जिसमें एडवेंचर की कई क्रियाएं होती हैं राजगीर का हमारा अंतिम पड़ाव विरायतन है जिसके बारे में हम आपको पिछले ब्लॉग में दिखा चुके हैं वर्तमान समय में राजगीर का सबसे प्रमुख स्थल राजगीर वाइल्ड लाइफ सफारी और इसके साथ-साथ ग्लास ब्रिज है जहां हजारों की संख्या में लोग आते हैं पर यहां की टिकट मिलना आसान नहीं है इस कारण ऑनलाइन बुकिंग करवानी पड़ती है जो भी आसानी से नहीं मिलती तो दोस्तों अब वक्त हो गया है आपसे अलविदा कहने का उम्मीद है यह ब्लॉग आपको पसंद आया हो हमें लाइक शेयर सब्सक्राइब करें थैंक यू फॉर वाचिंग

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